"जहाँ विद्या से विनय उत्पन्न हो, ज्ञान से विवेक जागृत हो, और संस्कार से राष्ट्र निर्माण का पथ प्रशस्त हो – वहीं होता है एक आदर्श शिक्षण संस्थान।"
राष्ट्र निर्माण का आधार न तो केवल अर्थव्यवस्था होती है, न ही केवल विज्ञान की उन्नति; उसका मूल आत्मा उसके शिक्षण संस्थान होते हैं, जो आने वाली पीढ़ी को दिशा,
दृष्टि और चरित्र प्रदान करते हैं। राष्ट्र के वास्तविक देवालय उसके शिक्षण संस्थान हैं जहाँ राष्ट्र की भावी पीढ़ी का निर्माण बालकों में सर्वोच्च जीवन मूल्य विकसित करके किया जाता है।
सामान्य अर्थो में शिक्षा के बिना व्यक्ति पशु समान होता है। वह शिक्षा ही है जो व्यक्ति को व्यक्ति से मनुष्य बनाती है अतः मानवीय विकास एवं राष्ट्र की समुन्नति के ध्येय से संचालित ऐसे
सभी शिक्षण संस्थान सदैव वंदनीय एवं पूज्यनीय हैं। ऐसे ही शिक्षण तीर्थों में बाबू शिवनाथ अग्रवाल स्नातकोत्तर महाविद्यालय, मथुरा का स्थान न केवल उत्तर प्रदेश में, अपितु सम्पूर्ण राष्ट्र में विशिष्ट और वंदनीय है।
योगीराज कृष्ण की क्रीड़ा स्थली में उन्हीं के जन्मस्थान के समीप स्थित बाबू शिवनाथ अग्रवाल स्नातकोत्तर महाविद्यालय प्रदेश के ही नहीं अपितु देश के ऐसे ही शिक्षण संस्थानों में अपना अद्वितीय स्थान रखता है।
ब्रज की पुण्यभूमि पर स्थित इस संस्थान की नींव स्वयं एक महान दानवीर, बाबू शिवनाथ जी द्वारा सन् 1956 में रखी गई, जब उन्होंने अमरावती (महाराष्ट्र) से आकर मथुरा शहर के मध्य में लगभग 32 एकड़ भूमि दान में दी।
यह दान केवल एक भू-खंड नहीं था, यह था ब्रजवासियों के प्रति उनका अगाध प्रेम, आस्था, भविष्यदर्शिता का प्रतीक एवं ब्रज क्षेत्र के युवाओं के शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, आध्यात्मिक विकास हेतु, दूरदृष्टि का प्रकाश पुंज है।
गीता में अर्जुन को "योगः कर्मेसु कौशलम" की शिक्षाप्रदान करने वाले भगवान श्रीकृष्ण की भूमि पर जन्म लेना बड़े भाग्य की बात है किंतु इसी भूमि पर दानवीर बाबू शिवनाथ अग्रवाल जी के अक्षय कीर्ति स्तम्भ
बी.एस.ए. स्नातकोत्तर कॉलेज, मथुरा की सेवा करना परम सौभाग्य का विषय है। व्यक्ति कभी भी माता-पिता, गुरु व गुरुकुल से कदापि उऋण नहीं हो सकता किन्तु परमपिता परमात्मा ने मुझे इस महाविद्यालय
की सेवा करने का अवसर प्रदान किया है |
यह महाविद्यालय केवल एक शैक्षणिक संस्था नहीं है, यह एक संस्कार यज्ञ है जहाँ विद्यार्थियों के शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक एवं आध्यात्मिक विकास के लिए एक आदर्श परिवेश निर्मित किया गया है।
यहाँ अध्ययन करना केवल डिग्री प्राप्त करना नहीं, बल्कि स्वयं को गढ़ना है—एक उत्तम नागरिक, एक जागरूक मानव, एक कर्तव्यनिष्ठ राष्ट्रसेवक बनने की दिशा में प्रथम पग है।
मैं स्वयं इस महाविद्यालय का पूर्व छात्र हूँ। पाँच वर्षों तक यहाँ शिक्षा ग्रहण करना मेरे जीवन की अमूल्य निधि रही है और परमपिता परमेश्वर की कृपा से मुझे इसी संस्थान की सेवा का सौभाग्य भी प्राप्त हुआ। दिनांक
30 अक्टूबर 2021 को जब मैंने प्राचार्य पद का कार्यभार ग्रहण किया, तब मैंने एक ही संकल्प लिया—कि मैं इस महाविद्यालय को केवल दीवारों का समूह नहीं, बल्कि विचारों, मूल्यों,
और नवाचारों का एक जीवंत केंद्र बनाऊँगा। प्रत्येक शिक्षण संस्थान का दायित्व केवल पुस्तकीय ज्ञान देना नहीं होता, बल्कि वह जीवन जीने की कला, संवेदनशीलता, नैतिकता और राष्ट्र
के प्रति उत्तरदायित्व का बोध कराना होता है।
विगत तीन वर्षों में महाविद्यालय में अवस्थापना एवं अकादमिक विकास में महाविद्यालय परिवार के सभी प्राध्यापकों एवं कर्मचारियों ने अतुलनीय श्रम एवं कौशल का प्रदर्शन किया है।
महाविद्यालय को समाज की गणमान्य विभूतियों ने विभिन्न रूपों में जो सहयोग प्रदान किया है उसके प्रति मैं समस्त महाविद्यालय परिवार की ओर से हृदयानवत एवं आभारी हूँ।
जिला प्रशासन एवं विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा छात्रहितों में किए गये सहयोग के प्रति आभारी हैं, मथुरा-वृन्दावन नगर निगम के समस्त अधिकारियों एंव कर्मचारियों के महाविद्यालय
के विकास एवं उत्थान में अप्रतिम सहयोग हेतु हृदय से कृतज्ञता प्रकट करता हूँ, उन सभी जनप्रतिनिधियों को भी नमन जिन्होंने विभिन्न स्वरूपों में महाविद्यालय को सहयोग प्रदान किया।
बाबू शिवनाथ अग्रवाल जी की दीर्घ सोच का अवलम्ब बी.एस.ए. स्नातकोत्तर कॉलेज, मथुरा, महाविद्यालय में अध्ययनरत सभी विद्यार्थियों के शारीरिक, मानसिक, एवं शैक्षणिक विकास के लिए दृढ़ संकल्पित है।
महाविद्यालय परिवार का प्रत्येक सदस्य अपनी संपूर्ण क्षमताओं एवं कौशल से छात्र-छात्राओं के स्वर्णिम भविष्य के निर्माण एवं महाविद्यालय के विकास में अपना अभूतपूर्व योगदान देंगे ऐसा मेरा विश्वास है।
प्रिय नवप्रवेशित छात्र-छात्राओं, आपका यह प्रवेश केवल कक्षा में बैठने का अधिकार नहीं, बल्कि स्वयं को उत्कृष्टता की ओर ढालने का अवसर है।
यह संस्थान आपको न केवल ज्ञान देगा, बल्कि सही मार्गदर्शन, जीवन मूल्य और समाज के प्रति उत्तरदायित्व का बोध भी कराएगा। आप सभी से मेरा आग्रह है—सपने बड़े देखो,
सोच विस्तृत रखो और मेहनत निःस्वार्थ करो। इस संस्था की परंपरा को आगे बढ़ाओ, उसके गौरव को और ऊँचाइयों तक ले जाओ। शिक्षा के प्रत्येक क्षण को आत्मसात करो,
और अपने भीतर के श्रेष्ठतम को जागृत करो।
"शिक्षा वह शस्त्र है जिससे हम भविष्य को गढ़ सकते हैं। आओ, हम सब मिलकर उज्ज्वल भारत के निर्माण में अपनी भूमिका निभाएँ।"
प्राचार्य
बाबू शिवनाथ अग्रवाल स्नातकोत्तर महाविद्यालय, मथुरा।